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Jaane Kahaa ??? The Revolution भाग 33

अपडेट-33

 

स्वामीजी की मुलाकात के बाद कुछ पल जय की सोच ही बंध हो गइ थी। जय दोपहर को 12 बजे कोलेज केम्पस मे वापस आया और देखा तो कोइ भी क्रांतिआरी मौजुद नही था। आज भी उसने अकेले खाना खाया और अपनी रुम मे जाकर बैठ गया। रास्ते मे आते वक़्त पी.सी.. बुथ से उसने अपनी मा राजेश्वरीदेवी से बात की थी और सिर्फ इतना बताया था की मिली नाम की कोइ लडकी उस की फुफी सुनन्दादेवी की बेटी और उस की बहन है और ज़िन्दा भी है, और ये भी बताया की अब सुनंदा जिन्दा नही है। लेकिन ये नही बताया की मिली किडनेप हो चुकी है। क्युकी जय नही चाहता था की उस की मा ज्यादा परेशान हो। इसिलिये मिली के लिये वो क्रांतिकारीयो मे शामिल होने जा रहा है ये बात भी उस ने अपनी मा से छिपाइ थी और यही बात उस की ज़िन्दगी मे आगे जाकर घातक साबित होनेवाली थी इस का बिलकुल अन्दाजा जय को नही था। सामने राजेश्वरीदेवी ने भी कुछ नही कहा, वो भी नही चाहती थी की अब इतने साल के बाद सुनंदा के बारे मे जय ज्यादा जाने। बस उस ने इतना कहा की मिली जब मिले तो उसे लेकर जुनागढ जरुर ले आये।

 

इस तरफ जय तो क्या सारे के सारे क्रांतिकारीयो का यही हाल था। हर कोइ अलग अलग मक्सद से इसमे जुडे थे। उन मे से कीसी को पता नही था की वो कौन सी राह पर नीकल चुके है और इस का अंजाम क्या होगा? बस दोस्तो के नाम पर हाथ से हाथ मिलाकर नीकल पडे थे और दिल मे एक अनोखा उमंग था, हार-जीत की कोइ ख्वाहीश नही थी। बस ख्वाहीश थी सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने की और उन सब ने मिलकर उठा ली थी। शायद अन्याय सहन करनेवालो मे से ये लोग नही थे या फिर ये कहा जा सकता है की अन्याय अकेले सहन हो जाता है लेकिन जब कोइ समुह होता है तो वहा दिमाग नही केवल समुह शक्ति कार्यरत हो जाती है। साजन ने एक आवाज उठाइ थी तो शायद वो आवाज धीरे धीरे समुह मे तबदिल हो चुकी थी। बाकी एक जय बचा था जो आज सपुर्णत: घायल होकर बैठा था।

 

कुदरत का नियम शायद हम लोग सही तरह से पहेचानते नही। जहा आप ने बुध्धी दौडाइ समजो गलती हमेशा सम्भव है। क्युकी कुदरत ने सब से ज्यादा बुद्धिमान प्राणी मनुष्य बनाया है, लेकिन धोखा, लडाइ वो भी तो ज्यादा मनुष्य जाती मे ही होता है। हम अक्सर देखते है की कोइ भी जाती के प्राणी अपने पर आते जोखिम पर हमेशा इकठ्ठे हो जाते है या तो एकत्र हो जाते है। ये जंगल का नियम है। लेकिन प्राणीमात्र मे सीमेंट कोंक़्रीट से भरे जंगल मे रहनेवाली मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है, जब तक खुद पर जोखिम नही आता तब तक कुछ नही करेगा।

 

यही सब विचारधारा जय को सता रही थी की क्रांतिकारीयो ने उसे बहुत समजाया था लेकिन वो तो उल्टा उस को रोकने जा रहा था। आज जब स्वामीजी ने उसे आयना दिखाया था तो अपने आप को बहुत शर्मिन्दा मह्सुस कर रह था। क्युकी आज खुद पे आन पडी थी। आज तक साजन, निशी, बिरजु, मुनिश, निशा, उदयन सब दोस्तो ने साथ मिलकर जो मिशन शुरु किया था और काफी दुर पहुच चुके थे, उस से वो खुद डर रहा था और औरो को भी डरा रहा था। आज जब खुद अपनी बहन मिली जोखिम मे है तो नीकल पडा था क्रांति की राहो पर। इसिलिये जय खुद सोच रहा था की वो कैसे सामना करेगा अपने दोस्तो से? खास कर के साजन से तो वो नजरे कैसे मिलायेगा? ये जय के लिये बडा प्रश्न था।

 

दुसरी ओर ये सोचकर भी जय गदगदित हो रहा था की स्वामीजी ने आज तक साजन को मिली के बारे मे नही बताया था, इसिलिये शायद्द सब दोस्तो ने उसकी मा के नाम पर उसे अकेला छोड दिया था और स्वामीजी ने भी आराम से उस की राह देखी थी। अगर साजन & कम्पनी को पहले से ही पता होता तो शायद वे लोग एक बार जरुर मजबुर करते जय को इस मिशन मे जुडने के लिये। लेकिन ये भी स्वामीजी का और उस के दोस्तो का पोजीटीव एटीट्युड था की स्वामीजी ने सही समय पर जय को जगाया था और दुसरी तरफ दोस्ती भी कायम रखने का प्रयास किया गया था। जय को लग रहा तह की अब आगे का कार्य उस का ये होगा की कोइ चाहे या चाहे वो खुद साजन से मिलेगा और अपने किये पर माफी भी मांगेगा।

 

और क्यु नही? जय उन मे से नही था जो बोले वही सही है। अगर सच्ची बात है तो जरुर स्वीकार कर लेनी चाहिये और

नी गलती पर जरुर माफी मांगनी चाहिये। जय ने सोच लिया की वो खुद अपने दोस्तो के पास जायेगा और माफी भी मांगेगा और सब की परमिशन भी लेगा की वे लोग उसे क्रांति मे शामिल करेंगे या नही?

 

जय खडा हो के फिर पुरी होस्टेल, गार्डन, केन्टीन सब जगह घुम के वापस गया, पर क्रांतिकारीयो की टोली बिलकुल गुम हो चुकी थी। वो जानता था की इनलोगो का कोइ भरोसा नही कौन कब कहा चला जाये। बडी कोंफीडेन्शियल तरीके से मिशन चल रहा था। जय फिर अपनी रुम मे जाकर बैठ गया और फिर उस की सोच शुरु हो गइ।

 

अब जय का पुरा कोन्सन्ट्रेशन उस लडकी पर गया था जिस का नाममिली’ था। जय ने तो कभी उसे देखा था और ही तो कभी एह्सास हुवा था की को लडकी उस की बहन हो सकती है। सिर्फ उस का नाम साजन और निशी के मुह से सुना था। आज तक इसिलिये जय ने इतने सालो मे अपनी कलाइ पर कीसी बहन के नाम पर राखी नही बांधने दी थी। क्युकी वो हमेशा से ही कुदरत को मानता था की अगर उस की कलाइ सुनी नही रहनी चाहिये तो जरुर कुदरत ने उस को बहन दी होती। शायद इसिलिये कुदरत आज महेरबान थी की उसे एक बहन मील चुकी थी। लेकिन किस मोड पर ? जहा आज उसे बहन की जरुरत महेसुस हो रही थी वहा खुद उस की बहन को आज एक ऐसे भाइ की जरुरत थी जो उस को बचाये और सही सलामत उसे जिन्दा वापस ले आये क्युकी मा से वादा कर लिया था की मिली को वो जुनागढ लायेगा।

 

जय सोच रहा था की कैसी होगी उस की बहन? आज इतने सालो के बाद उस का पता मिला था। कैसे गुजारे होंगे इतने साल? कैसे समाधि ट्रस्ट मे आयी होगी? कैसे उस की मा और जय की फुफी सुनंदादेवी की म्रुत्यु हुइ होगी? कौन होगा मिली का पिता? फिर जय को याद आया की स्वामीजी ने कहा था जब मिली छोटी थी तब उसे कलकत्ता के बदनाम इलाके से बचाया था। इस का मतलब सुनंदादेवी वहा कैसे पहुची? क्या उस की फुफी के साथ कोइ अत्याचार हुवा था, क्या उस की फुफी सुनंदा अच्छी औरत नही रही होगी? क्या सुनंदादेवी बदनाम औरत रही होगी?

 

ये सब खयाल बार बार जय को सताने लगे? जय घायल शेर की तरह रुम मे इधर उधर चक्कर काट रहा था। उसे बिलकुल चैन नही था। जब वो स्वामीजी की कुटिर से नीकला था तब वो बिलकुल शांत था, जैसे नयी जिन्दगी मिल गयी हो वैसा हल्कापन मेहसुस कर रहा था। पुरे रास्ते मे भी वो शांत था। लेकिन अचानक इतनी सारी चिंता ने जैसे उस का मन घेर लिया था सब से बडी चिंता का विषय ये था की वो चला तो था क्रांतिकारी बन ने के लिये, लेकिन क्या प्लान था उस का? वो कैसे अपनी बहन को सही सलामत वापस लायेगा? वापस ला पायेगा भी या नही? ये सब चिंता अब उस को सताने लगी। फिर ये भी विचार उस को आने लगे की वो कहा अकेला था? अगर साजन & कम्पनी ने उस को अपना लिया तो वे लोग तो पुरी टीम थे। दो दो वार कर चुके थे राजस्थान के नेताओ पर उस के पास वो जैसे कह रहे थे फुल प्रुफ प्लान था। फिर चिंता काहे की?

 

राजस्थान की बात याद आते ही उसे खेंगारसिह, रणवीरसिह, रवि कपूर और निशी के साथ हुवा हादसा याद आया। कुदरत ने कैसे खेल खेला था की उस दिन नीशी की बात सुन ने के बाद वो रवि को मारने चला था लेकिन निशी ने उसे रोका था ये केहकर की वार हमेशा मौका देखकर करना चाहिये। और आज कुदरत ने उसे वार करने का मौका जैसे दे दिया था।

 

फिर धीरे धीरे उसे साजन याद आने लगा की उस की बहन तो मर चुकी थी उस का एह्सास हुवा। साजन कह्ता ही था की जब खुद पर बन आती है तभी वास्तविकता का पता चलता है। कितना सच था सजन, आज जय को उस का एहसास हो रहा था। फिर जय को बारी बारी निशी, बिरजु और मुनिश की याद आइ। उस ने भी तो खुब जेला था अपने अलग अलग रीलेटीव्स को गवाकर। फिर उसे खेंगारसिह और रणवीरसिह याद आये और याद आते ही उस के जबडे सख्त हुए और मुठ्ठी सख्त हुयी, गाली मुह पर गइ। उस का बस चलता तो वो आज ही उस का क़त्ल कर देता, लेकिन ऐसा नही था। फिर उस ने स्वामीजी को याद किया और सोचा की जरुर स्वामीजी की क्रुपा मे वो अपने मक्सद मे कामयाब होगा ही। जय ने मनोमन अपने आराध्यदेव को नमस्कार किया और मन ही मन मे फिर से आशिर्वाद मांगा और गेहरी सास लेकर मन को और मजबुत करने की कोशिश करने मे जुट गया।

 

कुल मिलाकर डर, क्रोध रोमांच, चिंता और क्रांति के विचारो से अभिभुत जय के मन की स्थिती की पराकाष्ठा इन सब की अनुभुति एकसाथ जय को हो रही थी। चिंता और चैतन्य से उस का मन भारी होता चला गया और उस का चित बिलकुल फिर से अशांत हो गया। अब वो सोच रहा था की अगर कोइ दोस्त उसे नही मिला तो शायद वो अकेला पागल हो जायेगा। क्युकी साली सिगरेट भी उस के पास अभी नही थी। उसे याद अया की उस ने सुबह से  एक भी सिगरेट नही पी थी। आज तक वो गोल्डफ्लेक, विल्स, कूल, फोरस्क्वेर, चारमिनार, 555, पनामा, क्लासिक वगैरह ब्रांड्स की सब प्रकार की सिगरेट पी चुका था, क्युकी उदयन का तो कोइ टेस्ट था और तो समय। वो जो भी लाता था जब भी लाता था, जय पी लेता था। इसिलिये जय ने रुम मे हर वो जगह ढुंढी जहा उदयन सिगरेट रख सकता था। उस के हाथ मे सिगरेट तो नही आये, लेकिन सादी बीडी का बंडल जरुर हाथ आया। जय ने आजतक सादी बीडी कभी नही पी थी। वो नही जानता था की सादी बीडी सब से तेज होती है।

 

शिवाजी छाप बीडी के तुटे हुवे बंडल मे से एक उस ने निकाली और साथ ही पडा मेच बोक्ष से जलाइ। एक बडी तीव्र गन्ध रुम मे फैल गइ और जय को खासी आयी। क्युकी बहुत तीखा स्वाद था सादी बीडी का। गला सुखा पड गया। लेकिन जय के शरीर और मन को ध्यान डायवर्ट करने के लिये स्मोकिंग की कडी आवश्यकता थी। इसिलिये वो जोर जोर से दम लगाकर बीडी पीने लगा और धुम्र सैर उडाने मे व्यस्त हो गया। अब उस का सारा ध्यान बीडी पर था। सारे टेन्शन और विचार अधुरे छुट गये थे। उस के मन को फिर से अजब की शांती मिली। कुछ ही देर मे धुम्रसैरो के बीच एक आकार प्रकट हुवा और आकार नजदीक आया तो उस मे से उदयन प्रकट हुवा।

 

उदयन आते ही हसने लगा,” व्होट इस धीस माय डीयर ? आज टाइगर को ग्रास खाना पड रहा है।

 

जय को गुस्सा आया क्युकी कितनी देर से वो घायल शेर की तरह तडप रहा था और उसे बीडी पीती हुवे देखकर उदयन को हसी रही थी इसिलिये वो चिल्लाया,”उदी, माइंड वेल, नोट टाइगर  यार शेर को कभी कभी घास खाना पडता है समजा ?”

 

उदयन,”ओके..ओके.. यार हाव इस योर डे ?”

 

जय,”बकवास, पहले ये बता साजन कहा है?”

 

उदयन,”अपनी रुम पर ही था और वही होगा।

 

जय फिर चिल्लाया,”होगा का क्या मतलब ? तुम लोग साथ नही थे क्या?”

 

उदयन,”पहले नोफिर यस

 

जय,”तो तु कहा था अब तक?”

 

उदयन को जय का गुस्सा देखकर मजा रहा था और बोला,” वेल, आइ वेंन्ट तो लुज माय वर्जीनीटीऔर वो हसने लगा।

 

जय कुछ पल पागल सा खडा रहा और फिर चिल्लाया,” तु क्या कह रहा है? सीधा बोल नही सकता क्या?”

 

उदयन,”अबे जेके सही ही बोल रहा हु यार, अपना कौमार्य तुडवाने गया था।

 

जय,”व्होट रब्बीश यु आर टोकिंग उदी ! साले कौमार्य होता भी लडकियो का है और तुटता भी लडकियो का ही है।

 

उदयन,”;लडको का भी होता है यार, तु कभी कीसी लडकी के साथ सोया है?”

 

इस सवाल से जय का गुस्सा सातवे आसमान पर था,”उदी, आज क्या लगा रखी है साले, मै क्यु जाउंगा कीसी के साथ सोने के लिये ?”

 

उदयन,”हा तो कैसे पता चलेंगा तुजे की कौमार्य किस को कहते है?”

 

जय,”बास्टर्ड वर्जीनीटी शब्द बना ही लेडिज के लिये है।

 

उदयन,”अबे जब अपना भी पहलीबार होता है तो वही हाल होता है जो लडकी का होता है समजा

 

अब जय ने उदयन का हाथ मरोडा और बोला,”तु बताता है की नही की कहा था?”

 

उदयन उह्ह्ह्ह ओह्ह कर के सीरीयस होकर बोला,”सच यार मै एक लडकी के साथ था। वो सुनीथा है केरालियन, मेरा उस से चक्कर चल रहा था और साजन ने सेटिंग करवा दी। क्या मस्त माल है यार, कइ दिनो से लाइन डाल रहा था। आज पटरी पर आके गाडी टकरा ही गइ।

 

जय ने भी सीरीयस होकर पुछा,”क्या बात कर रहा है साले? तु सच मे सुनिता के साथ था क्या?”

 

उदयन,”गोड प्रोमिस बस यार, और सुनिता के साथ नही सुनिथा के साथ। हमारी लेंगवेज मे सुनिथा बोला जाता है समजा। आज पहलीबार .... यार क्या माल है  यार मजा गया। साला मुजे तो साजन की लाइफस्टाइल पसन्द है। पीछे से नेतालोगो की उंगली करो और आगे से लडकियो को टपकाओ। साली क्या लाइफ है बस मौज ही मौज।

 

जय,”साले तुम लोग कर क्या रहे हो? क्रांति या कुछ और?”

 

उदयन,”ये भी तो क्रांति ही है ना। देख साजन का उसुल है एक बार उंगली कर दी बाद के दिनो मे बिलकुल आराम और ऐश करो और मौज करो। वो भी तो साला अपनी रुम मे दो दो को लिये हुवे बैठा है।

 

जय ने आश्चर्य के साथ कहा,”क्या ? साजन अपनी रुम मे है?”

 

उदयन,”हा तो मै अभी अभी उसी की रुम से चला रहा हु। उस के साथ पी.वी.सी कोलेज की दो छात्राये है ना अपनी कला दिखाने के लिये। साला दो दो को साथ मे लपेट के पडा है बिस्तर पे। साला क्या नसीब है साजन का यहा मुश्किल से देढ साल मे एक पटी और वहा साले को हर वीक मे एक दो तो पट ही जाती है। साले ने नागपुर की लोकल कन्याओ को भी नही छोडा है यार।

 

जय दौडकर बाहर नीकला और साजन की रुम की तरफ भागने लगा लेकिन उदयन ने उसे पकड लिया और खीच के वापस धकेला और बोला,”अबे साले उस के रंग मे काहे को भंग कर रहा है? तुजे सोना है कीसी के साथ तो ही वहा जाने का। वरना नो एंट्री यार कुछ तो समजा कर।

 

जय,”तु सही कह रहा है?”

 

और उदयन ने जय का हाथ पकड लिया और खीचा अपने साथ,”चल दिखाता हु आजा।

 

इतना केहकर उदयन जय को साजन के रुम के पीछे के भाग मे ले गया और खिडकी के अन्दर जाक के देखा और फिर जय के कान मे धीरे से बोला,”देख ले अपनी आखो से।

 

जय ने अन्दर देखा तो उदयन सही था साजन बिलकुल बीना कपडो के दो दो लडकियो के साथ खेल रहा था। जय ने ध्यान से देखा तो एक भी निशा नही थी तो उस ने वापस मुडकर उदयन को पुछा,”निशा तो नही है?”

 

उदयन,”अबे, निशा तो नही लेकिन एक तो अपने प्रिन्सीपाल की बेटी अमिता है, देख क्या माल लग रही है।

 

जय ने क्या ?” बोलकर फिर से देखा तो दायी और सोयी हुइ लडकी सच मे प्रिन्सीपाल की बेटी अमिता ही थी। साजन के साथ वो मस्त थी। और वो पलट गया। जब की उदयन पुरे एकाग्रता से देख रहा था और सिसकारिया मारते हुवे बोल रहा था,”साली एक जंक्शन है और दुसरी टर्मिनस। आज साजन छोडेगा नही और अंदर से उसी वक़त अमिता के चिल्लाने की आवाज धीरे से आइ और उदयन बोल उठा,”हो गइ टर्मिनस से जंक्शन।

 

जय ने उस को पीछे से पकडा और अपनी ओर खीचा,”तु चुप भी रहेगा की नही?”

 

लेकिन पीछे खीचने से उदयन का पैर फिसला और वो नीचे गीर गया और ये आवाज अन्दर रुम तक गइ। साजन चौक गया लेकिन खिडकी पर जय को देखकर हसने लगा। लडकिया तो जल्दी ही अपने अपने कपडे लेकर दिवारो से चिपक गइ थी और जल्दी जल्दी अपने कपडे पहन ने लगी। साजन ने भी अपने कपडे पहने और बोला,”अन्दर जाओ सालो।

 

जय और उदयन जल्दी से आगे आये और मैइन दरवाजे को साजन ने खोला और उस दरवाजे से रुम मे प्रवेश करते वक़्त दोनो लडकियो से सामना हुवा। अमिता तो नजर जुकाये जल्दी ही बाहर दौड गइ लेकिन दुसरी लडकी ने दोनो को देखा, मुस्कुराइ और जय के गाल को फ्लाइंग कीस देखर बोलती गइ,”वेरी होट बोय।

 

जय कुछ समजे उस के पहले तो साजन और उदयन जोर से हस पडे थे। जय अन्दर जाकर साजन के सामने बैठ गया। साजन ने सिगरेट जलाइ थी, उदयन ने एक्साथ दो जलाइ और एक जय को दी। जय ने जैसे ही कश खीचा तो साजन देखता ही रह गया और बोला,”तुने कब चालु की जेके ?”

 

जय ने धुआ उडाते हुवे जवाब दिया,”तुने क्रांति शुरु की तभी।फिर जाती हुइ लडकियो को दुर से देखता हुवा बोला,”बडी बेशरम लडकी है।

 

उदयन भी उसे ही देख रहा था और बोल उठा,”अबे बेशरम नही मस्त यार मस्त है ऐसा बोल।

 

साजन,” वो सब छोड ना बोल क्या काम था?”

 

जय,”तु साले आज दिनभर यहा था, मै यहा तक तीनबार आकर चला गया, मै तुजे पागलो की तरह इधर उधर ढुंढ रहा हु और तु मजे से इश्क़ फरमा रहा है। सालो तुम कर क्या रहे हो?”

 

साजन,”आज छुट्टी है तो साफ सफाइ का काम चल रहा था।

 

जय,”साफ सफाइ? अबे कौन सी साफ सफाइ?”

 

उदयन,”छोड ना तु नही समजेगा।

 

जय ने फिर से उस की कलाइ मरोड दी और बोला.समजता हु हरामखोर।

 

साजन ने कश खीचते हुवे कहा,”लेकिन जेके तु यहा आया क्यु था? कुछ काम था क्या?”

 

जय,”काम था इसिलिये तो आया था।

 

साजन,”बोल क्या काम था?

 

कुछ पल जय कश खीचता रहा और साजन उसे देखता रहा फिर जय ने कहा,”मै आज गुरुजी के पास गया था।

 

साजन,”अच्छा।

 

जय,”मै एक्च्युली तुम लोगो के लिये गया था की ये कार्य गलत है और तुम लोगो की जान को खतरा है, ये सब मै गुरुजी को बताने गया था।

 

साजन,”हा लेकिन हम तो पहले बता चुके है सवामी को, उस के ही आशिर्वाद के बाद ही हमने ये कार्य शुरु किया था।

 

जय ने एक लंबा कश खीचा और कहा,” गुरुजी ने सबकुछ बताया और वो भी बताया जो तुम लोग नही जानते हो।

 

साजन ने कश खीचते हुवे पुछा,”अच्छा, क्या नही जानते हम? ऐसा क्या स्वामी ने तुजे बताया?”

 

जय,”मिली के बारे मे।

 

साजन अपनी बेठक पर से खडा हो गया और पुछा,,”मिली? वो सधिका, कलकत्ता वाली?”

 

जय ने हकार मे सिर हीलाया तो साजन ने और आगे पुछा,”क्या बताया मिली के बारे मे? वो कहा है?”

 

जय ने आगे बताया,”मिली मेरी बहन है।

 

साजन उसे देखता ही रह गया, दोनो की नजरे एक हुयी। कोइ दुसरी बात बोलने की जरुरत नही थी। दो मिनिट एकदुसरे के सामने देखते हुवे सिगरेट खत्म की और आगे जय बोला,”मिली मेरी फुफी की बेटी है, गुरुजी ने पाल पोसकर उसे बडा किया है और साधिका है, लेकिन खेंगारसिह और रणवीरसिन्ह ने स्वामीजी को प्रचारकार्य करने की सजा दी है और मिली को किडनेप कर लिया है।

 

साजन ऐसे ही सुनता रहा और कुछ पल के बाद बोल उठा,”उदी, मै शर्त जीत गया ना।

 

जय कुछ पल सोचता रहा और फिर बोला,”कौन सी शर्त?”

 

उदयन,”साजन ने सब से शर्त लगाइ थे की एक दिन तु जरुर ये मिशन जोइन करेगा।

 

जय ने साजन के सामने देखा और फिर धीरे से बोला,”इसका मतलब आप लोग मुजे परमिशन देते हो की मै ये मिशन जोइन कर सकता हु।

 

साजन,”अबे परमिशन काहे की? हमलोगो का घर का ये मिशन थोडे ही है। ये तो हम सब का जोइंट रीवोल्युशन है। अब देख तेरे आने से कैसे दात खट्टे करते है सालो के। लेकिन मिली किडनेप हुइ कैसे?”

 

जय,”यार तुम लोगोने मेरे दिल का बोज हलका कर दिया। साजन तु सच कहता था जिस के  मन पर गुजरती है वोही जानता है। आज जब मेरी बारी आइ तो  मुजे पता चला की क्या बितती है दिल पर। सोरी यार मैं तुम लोगो पर भरोसा नही किया और तुजे एक्सेप्ट नही किया।

 

साजन,”छोड ना यार, सोरी के लिये ये दुनिया बहुत छोटी है। अभी तो वैसे भी ये शुरुआत है। मुजे तो तेरे आने से ज्यादा खुशी हुइ है। चलो फिर एक बार एक तो हो गये। दुअरा तु लेइट आया, लेकिन पुरा क्रांतिकारी बन के आया है। देख हाथ मे सिगरेट, कुछ ही दिनो मे तेरे हाथ मे जाम होगा और बाहो मे दो दो मस्त माल।

 

जय,” बस बस बहुत हो गया आज के लिये। सालो लडकी मे क्या देखते हो?”

 

उदयन,”अबे क्या देखे वो बता? कीसी के गुलाबी गाल, तो कीसी के लाल होठ, कीसी के.....

 

जय ने उसे बंध कराते कहा,”बस बस तेरी बकवास तेरे पास ही रख, साजन आगे क्या करना है बोल?”

 

साजन,” पहले आज तक क्या हुवा है वो पता कर ले दो दिन के बाद की मीटिंग मैँ फिर आगे सोचेंगे क्या करना है। पर हमारा पहला उसुल है की बाहर कुछ भी नही बोलना है। दुसरा अभी दो दिन तक तु इस मिशन से दुर ही है। क्यु है वो भी तुजे दो दिन के बाद ही पता चलेगा। तो मेरी रीक्वस्ट है की दो दिन तक अपने मुह पर ताला लगा लेना दोस्त। बाद मे तु हमारे साथ ही है। ठीक है?”

 

जय,”ठीक है यार। इतना दिन तक दुर रहा हु, दो दिन और सही। तो फिर मै अभी चलता हु। दो दिन के बाद ही तुजे मिलुंगा। समज लो की मै यहा हु ही नही।

 

साजन,”ओके थेंक यु यार।

 

जय तुरंत उठकर रुम से बाहर नीकल गया और बाहर जाकर गार्डन मे आराम से बैठ गया। उसका दिल बडा शांत था क्युकी एक बडा बोज उस के दिल से उतर गया था। साजन की स्वीक्रुति जाने के बाद वो बडा खुश भी था और शांत भी हो गया था। जय ने कह दो दिया था की वो दो दिन तक इन्वोल्व नही होगा। फिर भी उसे कुछ ही पल मे बेचैनी सताने लगी थी। खास कर के जय अपनी बहन मिली से मिलने को बेताब था। आज इतने सालो के बाद कोइ लडकी उसे बहन के रुप मे मिल रही थी। जय को दो दिन ऐसे ही बैठना गवारा नही था। दुसरे ही दिन वो अकेला कोलेज बंक कर के आश्रम मे चला गया। फिर से वो स्वामीजी की कुटिर मे बैठ गया। लेकिन उसे बताया गया की स्वामीजी आज नागपुर मे नही थे। लेकिन स्वामीजी की वोलंटीयर्स को सुचना थी की कोइ भी साजन & कम्पनी से आये तो कुटिर मे उसे बीठाना है। इसिलिये फिर वोही ट्रीटमेन्ट जय को मिल रही थी।

 

स्वामीजी तो थे नही, इसिलिये जय ने सोचा की क्यु वो आश्रम ही देख ले। इसीलिये उसने घुमना शुरु किया। जय आश्रम ही देख रहा था लेकिन विचारो मे मिली ही थी। फिर उसने सोचा की मिली के बारे मे कीसी को पुछा जाये, शायद कुछ जानकारी मिले। इसिलिये वो फिर से कुटिर मे आया और स्वामीजी के खास वोलन्टीयर्स से पुछने लगा। जो पुराने साधक थे उन लोगो से सिर्फ इतना जान ने को मिला की बहुत शांत स्वभाव की लडकी थी मिली और समाधि ट्रस्ट की चहीती साधिका थी। चार बार तो स्वामीजी के साथ विदेश जा चुकी है और स्वामीजी की खास साधिका है। गुरुजी उसे बहुत चाहते थे। लेकिन आजकल पता नही वो कहा है?”

 

जय करीब तीन घंटे समय काट ने के बाद होस्टेल मे वापस आया और सीधा खाने चला गया। फिर केंटीन मे जाकर बैठ गया था। थोडी देर मे वहा निशी आयी और उस के पास आकर बैठ गयी और धीरे से कान मे बोली,” वेलकम डीयर।

 

अचानक चौक के जय ने देखा तो निशी आकर बैठ गयी थी और जय ने बोला,”थेंक्स।

 

निशी,”क्यु भाइ ऐसे मुह लटका के क्यु बैठे हो?”

 

जय,”मिली के बारे मे सोच रहा था।

 

निशी,”वाव, क्यु वो लडकी मे क्या खास इंटरेस्ट है ?”.

 

जय,”तेरे को कीसी ने बताया नही की वो मेरी कजिन है और इसिलिये मै जोइन कर रहा हु।

 

निशी आश्चर्य से देखती रही और फिर बोली,”ओके ओके, धीरे बोल ना, मुजे पता नही था यार, सोरी।

 

जय,” ओके क्या तु मिली के बारे मे ज्यादा जानती है?”

 

निशी,”ज्यादा तो नही, लेकिन तीन चार बार मिली हु उस से। तेरे जैसी ही वेरी सीरियस गर्ल है। सेवा ही परमो धर्म है। बचपन से समाधि ट्रस्ट की साधिका है इसिलिये, बाहर की दुनिया मे ज्यादा नही मजा आता उस को। ज्यादा कीसी से बात भी नही करती।

 

जय ध्यान से सुनता रहा और फिर बोला,” दिखती कैसी है?”

 

निशी,”वेरी नाइस,जैसे की तेरे घर मे फोटो देखा था उस से भी ज्यादा अच्छी दिखती है।

 

जय,”तुजे मालुम है वो किडनेप हो चुकी है।

 

निशी शोक्ड हो गइ और चिल्ला उठी,”व्होट?” फिर माहोल देखकर धीरे से बोल उठी,”किस ने किया ये सब?”

 

जय ने स्वामीजी और उस की बातचित निशी को बताइ और फिर शांत हो के बैठ गया।

 

निशी,”बास्टर्ड्स पोलिटीशियन्स, जय इसिलिये तो हमने ये शुरु किया है। लेकिन यहा बात करना ठीक नही है। कल मिलते है इस के बारे मे बातचित करने के लिये।

 

इस के बाद दुसरे दिन की शाम तक बडी बेचैनी से समय बीताया जय ने और आखिर वो शाम ही गइ। उदयन ने उसे कहा की चलो मीटिंग मे और जय तैयार हो गया क्रांतिकारीयो की मीटिंग मे पहलीबार जाने के लिये और उदयन के साथ नीकल पडा। उदयन जय के साथ एक रिक्शो मे बैठकर बोला,”सेमिनरी हील।

 

और जय का क्रांति की ओर कदम आखिर बढ ही गया....और आगे जो होना था उस से जय तो बिलकुल बेखबर था, लेकिन कोइ तो जानता था की जय जरुर ये कदम उठानेवाला है....खास कर के साजन को पक्का विश्वास था की जय आयेगा और ये मिशन जोइन करेगा ही....क्यु ? साजन क्यु ये जानता था??? क्या बात थी आखिर, कौन जाने कहा ???

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21 Comments

Shivani Sharma

24-Apr-2022 10:57 PM

Intresting, next

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PHOENIX

25-Apr-2022 01:56 PM

Thank you. Next is coming soon.

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Art&culture

24-Apr-2022 10:17 PM

Wonderful writing

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PHOENIX

25-Apr-2022 01:56 PM

Thank you.

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Bahut khoob likhte h aap, good story

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PHOENIX

25-Apr-2022 01:55 PM

Thanks you.

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